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Ganesh Chaturithi 2022: स्थापना और विसर्जन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, आवश्यक सामग्री मंत्र और आरती

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हिंदू धर्म में किसी भी अच्छे काम को करने के लिए भगवान श्री गणेश जी की पूजा करना अनिवार्य होता है बल्कि यह भी कहा जाता है कि अगर किसी कार्य को शुभ करना हो तो उसे श्री गणेश भी कहा जाता है क्योंकि गणेश श्री गणेश जी गणों के स्वामी हैं इसलिए इन्हें देव आदि गणेश गणपति कहा जाता है गणेश चतुर्थी को इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा और इस दिन के बाद से गणेश पति गणपति बब्बा मोरिया थी 10 दिन उत्सव की शुरुआत होती है और जिसका समापन चतुर्थी चतुर्दशी को होता है ऐसा माना जाता है कि अगर कोई गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की स्थापना करता है तो जीवन से जुड़े कष्टों को दूर और सभी मनोकामनाएं को पलक झपकते पूरा करने वाले रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश पूरा कर देते हैं इसके बारे में और अच्छे से जानते हैं

पूजा की तैयारी कैसे करें

गणेश चतुर्थी पर आप गन गणपति जी की तपस्या शांत मन से करें इसके लिए आपको पूजा से संबंधित सभी जान सामग्री जैसे लाल फूल फल ध्रुवा चौकी लाल कपड़ा गंगाजल रोली रोली चंदन जेनयू सिंदूर सुपारी पान लॉन्ग नारियल इलायची पंचमेवा शुद्ध घी का दिया कपूर धूप आदि जरूर शामिल करें

गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त

ऐसा माना जाता है कि गणपति का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसलिए 31 अगस्त 2022 गणेश चतुर्थी की पूजा इसी समय करना काफी सुखदायक हो सकता है पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन श्री भगवान गणेश जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रात काल 11:05 से 1:48 बजे के बीच सबसे अच्छा होगा इसलिए गणेश के भक्तों को उनकी इसी समय विधि विधान से पूजा करनी होगी

गणेश चतुर्थी की पूजा की विधि

  • गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले आप अपने तन और मन से साबित हो जाए इसके बाद पान के पत्ते पर पोस्ट सुपारी अक्षर और एक सिक्का लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उसने अपने घर में स्वागत के लिए मन ही मन प्रार्थना करें अगर आपकी इच्छा है तो आप विधि विधान से गणेश चतुर्थी के व्रत को करने का संकल्प भी कर सकते हैं
  • जैसा कि हमें पता है गणेश जी को लाल रंग बहुत ही अच्छा लगता है इसलिए उनकी पूजा लाल रंग के वस्त्र पहनकर और पूजा के लिए आसन और फूल भी लाल रंग का होनी चाहिए गणेश जी की मूर्ति अपने घर के पूर्वोत्तर दिशा में इस तरह स्थापित करें कि उनकी पीठ दिखाई ना पड़े
  • गणेश जी की मूर्ति को पंचामृत और गंगाजल आदि से स्नान कराने के बाद साफ और स्वच्छ कपड़े से पहुंचकर चौकी पर बिछे हुए लाल रंग के कपड़े के ऊपर स्थापित करें गणपति के बाएं और दाएं उनकी पत्नी रिद्धि सिद्धि के प्रतीक में 11 सुपारी का मूल्य लपेटकर स्थापना करें
  • इतनी बात गणेश जी की मूर्ति को सिंदूर लगाए और उसके बाद लालपुर लाल चंदन लाल पर लाल जने हो पंचमेवा नारियल और उनका सबसे प्रिय भोग मोदक अर्पित करें इसके बाद गणेश जी को पान इलायची सुपारी लॉन्ग भी चढ़ाए
  • गणेश जी को इन सभी चीजों को चढ़ाने के बाद उनके मंत्रियों के गणेश का पाठ करें और उसके बाद गणेश जी की आरती करें फिर मोदक का प्रसाद सब में बांटे और खुद भी खाएं

गणपति का महामंत्र

वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभः।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।

श्री गणेशजी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी,

माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया,

बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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